झाबुआ ज़िले में धड़ल्ले से चल रही लगभग हज़ारो खादय एवं अन्य दुकाने बिना लायसेंस के अधिकारी ऑफिस में बैठ काट रहे चांदी।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2011 के तहत खाद्य सामग्री विक्रेताओं को लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, लेकिन नगर में इस नियम का पालन कहीं नजर नहीं आ रहा है। नगर में करीब 100 से अधिक खाद्य पदार्थों की दुकानें संचालित हो रही हैं। जिसमें से कुछ व्यापारियों को छोड़कर किसी के पास लाइसेंस नहीं है। जबकि लाइसेंस न होने जुर्माना सहित सजा का भी प्रावधान है। कस्बे में खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत अपनी दुकानों के रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। शहर में एक भी बार संबंधित अधिकारियों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए हिदायत तक नहीं दी। जिसके कारण व्यापारी रजिस्ट्रेशन कराने में अपनी बिल्कुल रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
एक्ट में है 1 लाख तक का जुर्माना व सजा का प्रावधान-फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2011 के अनुसार किसी व्यापारी के पास लाइसेंस नहीं पाए जाने पर 6 माह तक की सजा और 1 लाख का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद जिम्मेदारों द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जब सम्बंधित अधिकारी से इस विषय मे चर्चा की गई तो उनका कहना था कि हमने सभी के लाइसेंस बना दिये और सभी के लाइसेंस बने हैं। पर जब कई स्थानों पर सर्वे के अनुसार पाया गया कि कई दुकानों के लाइसेंस नही हैं।
क्या है फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2011 के तहत सभी खाद्य सामग्री के विक्रय से संबद्ध व्यवसायियों को 12 लाख से अधिक के टर्न ओवर पर लाइसेंस व इससे कम के टर्न ओवर पर पंजीयन अनिवार्य है। अब तक नगर के अधिकांश खाद्य व्यवसायियों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। खाद्य विभाग के अनुसार भोजन आपूर्ति कराने वाले स्वसहायता समूह, किराना विक्रेता, होटल व्यवसायी, फल एवं सब्जी विक्रेता, दुग्ध विक्रेता, भोजनालय रेस्टोरेंट मालिक, ज्यूस सेंटर, गल्ला व्यापारी, अनाज वितरण करने वाली सोसायटी, पान गुमठी, चाट सेंटर, कैटरिंग व्यवसायी आयल रिफाइनरी पैकेजिंग, सभी प्रकार के भंडारण, वेयर हाऊस, शराब विक्रेता, आटा चक्की, कोल्ड स्टोरेज, मांस मच्छी ओर पोल्ट्री शाप व फुटकर थोक व्यापारी सभी को पंजीयन कराना व लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
अभी हाल ही में देश कोरोना जैसे संक्रमण से गुजरा है,और लाखो जाने देश ने गवाई हैं।आये दिन किसी न किसी नई बीमार से लोग संक्रमित हो रहें हैं।परंतु हज़ारो रुपये की तनख्वाह लेने के बावजूद भी अधिकारी ऑफिसों में बैठ चाँदी काट रहे है। शहर, एवं ग्रामीण इलाकों में कई व्यापारी केमिकल्स से बनी सामग्री धलल्ले से बेच रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार त्यौहार के आगमन पर जाँच कर्ता अधिकारी जाँच तो करते हैं,ओर सामग्रियो के सेम्पल भी लेते हैं फ़ोटो भी क्लीक करते हैं ,और जनसंपर्क विभाग के माध्यम से ख़बरे ओर चित्र भी प्रसारित करे हैं। परन्तु ले दे कर मामला भी सेटल हो जाता हैं।
झाबुआ कलेक्टर तन्वी हुड्डा शिक्षा औऱ स्वस्थ औऱ जल, जंगल, जमीन को लेकर सज़ग हैं और जी जान से लगी हैं परन्तु पता नही क्यो झाबुआ कलेक्टर का इस ओर ध्यान नही हैं।झाबुआ कलेक्टर को इस औऱ भी ध्यान देना चाहिए।
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