लोगो का कहना हैं की अपने बाप की जागीर समझ कर बच्चो के खेलने का ग्राउंड दे दिया मेला लगाने के लिए किराये से। कलेक्टर की नाक के नीचे झाबुआ में चल रहा खुला भ्र्ष्टाचार। सूत्रों के अनुसार 7 लाख रूपये तय हुवा किराया 30 जुलाई तक का अब समय बढ़ाने की फ़िराक में।

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुअसार चर्चा चौराहे पर चल रही हैं कि लोगो का कहना हैं की अपने बाप की जागीर समझ कर बच्चो के खेलने का ग्राउंड दे दिया मेला लगाने के लिए किराये से। कलेक्टर की नाक के नीचे झाबुआ में चल रहा खुला भ्र्ष्टाचार। सूत्रों के अनुसार 7 लाख रूपये तय हुवा किराया 30 जुलाई तक का अब समय बढ़ाने की फ़िराक में।
 झाबुआ कलेक्टर साहब की नाक के निचे का एक मामला सामने आया हैं।लोगो का कहना हैं कि झाबुआ कलेक्टर तो जल जंगल जमीन बचाने में लगी हैं और शिक्षा में भी सुधार की पूरी कोशिश कर रही हैं। यहाँ तक कि सिकल सेल जैसी समस्या को लेकर लोगो को जागरूक कर रही हैं, ओर झाबुआ को सुधारने में जी जान से लगी हैं।परन्त भर्ष्टाचार के आदि बने भृष्ट कर्मचारि मान ही नही रहे ।चौराहे पर काना फूसि चल रही हैं कि उत्कृष्ट मैदान में मेले का ठेका 7 लाख में फाइनल हुवा ओर वो भी 20 दिनों के लिए अब लोग यह भी बात कर रहे थे कि मैदान तो बच्चों के खेलने के लिए हैं और मेला लगाने का ठेका दे दिया बच्चे खेलने कहा जाएंगे। चलो ठीक है मान भी लिया कि 20 दिनों का हैं पर अब बात यह चल रही हैं कि 20 दिनों की जगह 60 दिनों का होने वाला हैं।अरे भाई वोह भी मान लिया पर सरकार के राजस्व में कितना इजाफा हुवा ? आपस मे बात चल ही रही थी कि बीच मे एक दूसरा बोलै पहले परमिशन देने वालो की तो जेबे भर जाए उसके बाद जो बचेगा वो सरकारी राजस्व में जायगा। 
अब देखना यह हैं कि कलेक्टर को इसकी भनक हैं भैया नही ओर नाही भी हैं तो इस चर्चा के माध्यम से लग जायेगी।अब देखना यह हैं कि झाबुआ कलेक्टर इस विषय को लेकर कितने सतर्क होते हैं।

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