कलेक्टोरेट एवं बहोत से विभागों में बरसों से एक ही स्थान पर अंगद के पाव जैसे कुर्सी पर जमे कर्मचारियों पर कब चलेगा प्रशासन का हंटर।
झाबुआ। बात करे स्थानांतर की तो 7 जुलाई को जिला स्तर पर होने वाले तबादलों की लिस्ट तैयार होनी थी। पर अपने नेताओं के चहिते कर्मचारी अभी भी जमे हुवे हैं ये कर्मचारि लक्ष्मी यन्त्र का उपयोग कर नेतोओ का काम चुटकी बजाते ही कर देते हैं। नेताओ ओर राजनीतिक पार्टियों से ताल्लुक रखने वाले लोग बरसो से अपनी कुर्सियों पर जमे हुवे हैं। अब सवाल यह उठता हैं कि लेक्टोरेट कार्यालय एवं अन्य विभागों में सालों से एक ही शाखा में अंगद के पाव जैसे जमे बैठे कर्मचारियों को लेकर प्रशासन क्या विचार करता है। क्या अबकी बार जारी लिस्ट में उनका नाम नही आया हैं जबकि एक ही जगह कार्य करते 3 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। हमेशा की तरह नेताओ राजनीतिक पार्टियों ओर लक्ष्मी यन्त्र की ढाल से स्थानातरण के प्रताप से बचते आ रहे इस बार भी अभी तक बचे हुवे हैं । क्योंकि एक ही शाखा में पदस्थ कर्मचारियों से दूसरे कर्मचारियों के अलावा लोगों को भी परेशानी होने लगी ही।
कलेक्टोरेट कार्यालय में कई कर्मचारी वर्षो से एक ही जगह जमे हुए है। इन कर्मचारियों की शाखाएं तक नहीं बदली गई। सीट पर इनका कब्जा जैसा हो गया। इस कारण इनका एकाधिकार है और यह अपना हित साध रहे है।
लोगो का यह भी कहना हैं कि राजनीति पर भी इसका बुरा प्रभाव पढ़ रहा हैं। इनके रहनें से आदिवासी वर्ग पीडित है। अब विवेक शील कलेक्टर को कार्यालय के सभी कर्मचारियों के 52 पत्तों की तरह ऊपर नीचे करने की जरूरत है।
कलेक्टोरेट के कर्मचारियों का कहना है कि तीन साल से जो कर्मचारी एक ही शाखा में पदस्थ है, उनकी सीट बदलना चाहिए। इसमें ऐसे कर्मचारी भी है जो 8-10 साल से एक ही शाखा में पदस्थ है। तीन साल में कर्मचारी की शाखा बदलना चाहिए, उस नियम का पालन वर्षो से इस कार्यालय में नहीं हुआ।
एक ही शाखा मे जमे हुए कर्मचारियों के पीछे की भी एक कहानी है। पूर्व में कुछ ओएस (आफिस सुपरिटेन्डेंट) ऐसे रहे, जिनका इन कर्मचारियों पर वरदहस्थ रहा है।
माना जाता है कि कुछ शाखाएं ऐसी है जहां सीधे तौर पर अर्थ लाभ अर्जित होता है। कर्मचारी और ओएस इसका बंटवारा करते थे। कर्मचारियों को स्थापित करने वाले ऐसे ओएस की तो रवानगी हो गई है। लेकिन, इन कर्मचारियों का शाखाओं पर कब्जा खत्म नहीं हुआ।
जिला मुख्यालय से कर्मचारियों के तबादले पेटलावद, थांदला किए जा रहे है। ऐसे में कलेक्टोरेट कार्यालय के अंदर कर्मचारियों की सफाई व्यवस्था की भी जरूरत महसूस की जा रही है।
कलेक्टर तन्वी हुडडा को जानकारी लेना चाहिए कि कलेक्टोरेट कार्यालय में कितने विभाग ऐसे है, जिनमें एक ही शाखा में तीन साल से अधिक समय से कर्मचारी पदस्थ है। ऐसे कर्मचारियों की शाखा बदलना चाहिए।
यह कार्य मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा है। और कलेक्टर के लिए व्यवस्था सुधारना एक चुनौती है।
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